धर्म/अध्यात्महरियाणा

भक्ति कार्य सर्व मंगलकारी और सर्व लाभ देने वाला होता है: संत कंवर हुजूर

भिवानी, (ब्यूरो): जब किसी इंसान का बीतने वाला पल और आने वाला पल  दोनो परमात्मा के संग और गुणगान में बीते तो समझो उससे बड़ा भाग वाला कोई नहीं है। इंसान हर कार्य के लिए योजनाएं बनाता है लेकिन उस कार्य को प्रारम्भ करने से पहले आप अपने इष्ट से उसके मंगल की प्रार्थना करते हो।नववर्ष भी इसी नई योजनाओं का मुहूर्त ही है।कार्य का प्रारंभ अगर सत्संग से हो जाये तो इससे मंगल हो ही नहीं सकता।सत्संग परमात्मा का संग है और परमात्मा के संग से और उसके गुणगान से यदि वर्ष का आरम्भ हो तो यह सोने पर सुहागा है।यह सत्संग विचार परम संत सतगुरु कंवर साहब महाराज ने नववर्ष के अवसर पर रोहतक रोड पर स्थित राधा स्वामी आश्रम में लाखों की संख्या में उमड़े सत्संग प्रेमियों को फरमाये। नववर्ष की शुभकामनाएं व आशीर्वाद देते हुए हुजूर कंवर साहेब महाराज ने फरमाया कि बाकी कार्य अलग अलग लाभ देने वाले हो सकते हैं परंतु नाम भक्ति का कार्य सर्व मंगलकारी और सर्व लाभ देने वाला होता है।नाम भक्ति आत्म शुद्धि का सबसे बड़ा जरिया है।हुजूर महाराज ने कहा कि इंसान के रूप चोला मिलना इस बात का परिचायक है कि इंसान परमात्मा का ही रूप है परन्तु अफसोस इंसान अनेको अहंकारों में फंस कर इस सर्वशक्ति स्वरूप को भूल जाता है। यही अहंकार उसे शुद्ध रूप से मलिन रूप में ढालता है। अभिमान का चश्मा इंसान को दया प्रेम भक्ति के रंगों को नहीं देखने देता। हमें इस अहंकार से छुटकारा पाने के लिए ही संत सतगुरु की आवश्यकता पड़ती है। सतगुरु इंसान के मलिन रूप को नाम रूपी साबुन को साफ करके पुन: उसे शुद्ध स्वरूप बख्शता है।उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि इंसान भाग खुद रहा है लेकिन भ्रम यह रखता है कि चीजे भाग रही हैं। हुजूर कंवर साहेब महाराज ने फरमाया कि तन मन धन सतगुरु को अर्पण कर देने चाहिए लेकिन हम किसी बच्चे की भांति सब पर अपना हक जताने की जिद्द करते हैं।तन मन धन सतगुरु को सौंपने का अर्थ है गुरु की आज्ञा में रहना।गुरु का भाना आपको चरित्रवान बनाता है। उल्लेखनीय है कि सत्संग से पूर्व गुरु महाराज जी ने रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया जिसमें साध संगत ने  200 यूनिट रक्त का दान किया।

रक्तदाताओं का हौसला बढ़ाते हुए संत कंवर हुजूर।

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