धर्म/अध्यात्म

वेदानुकूल आचरण करने से ही मनुष्य का कल्याण संभव : डा.मुरलीधर

महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में विद्यालय के वरिष्ठ विभाग में आयोजित हुई वेद मंत्रोच्चारण प्रतियोगिता

भिवानी , (ब्यूरो): हलवासिया विद्या विहार के वरिष्ठ विभाग में महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में संस्कृत परिषद की ओर संस्कृत आचार्या सारिका अरोड़ा के निर्देशन में वेद मंत्रोच्चारण प्रतियोगिता का सुंदर आयोजन किया गया। मांँ शारदा के समक्ष दीप प्रज्वलन द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में 22 छात्र -छात्राओं ने भाग लिया और वेद- मंत्रों को उच्चरित कर भावार्थ सहित सुंदर प्रस्तुति दी। सभी प्रतिभागियों की मंत्रोच्चारण प्रस्तुति अत्यंत सराहनीय रही। कार्यक्रम में संस्कृत के प्रकांड विद्वान डॉ. मुरलीधर शास्त्री तथा वैदिक प्रवक्ता सुखदेव आर्य ने निर्णायक मंडल की भूमिका निभाई । उन्होंने छात्र-छात्राओं के मंत्रों के उच्चारण, अभिव्यक्ति व भावार्थ के आकलन के आधार पर प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किए। परिणाम इस प्रकार रहे:-कक्षा नवम् ‘डी’ की छात्राओं साक्षी – जानवी ने प्रथम, नवम् ‘इ’ से नेहा – कृषि ने द्वितीय तथा कक्षा नवम् ‘डी’ से निधि -दीक्षा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। कक्षा नवम् ‘डी’ से छात्र सूरज- धनंजय व कक्षा नवम् ‘इ’ व ‘बी’ की छात्राओं अनन्या – सोनाक्षी ने संयुक्त रूप से प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त किया । मंच का कुशलतापूर्वक संचालन कक्षा नवम् ‘डी’ की छात्राओं साक्षी व जानवी ने संस्कृत भाषा में किया। निर्णायक मंडल के रूप में पहुंचे डॉ. मुरलीधर शास्त्री ने ‘वेदों की महत्ता’ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सृष्टि के प्रारंभ में चार ऋषियों के माध्यम से चार वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद व अथर्ववेद का ज्ञान मानवता की रक्षा के लिए दिया गया है। वेदानुकूल आचरण करने से ही मनुष्य का कल्याण संभव है। ये मंत्र संस्कृत भाषा में हैं। अगर प्रत्येक व्यक्ति अपनी दिनचर्या में इन वेद मंत्रों को उच्चारण की विशेष विधि से पढ़ता है तो उसमें तेज प्रभाव व सकारात्मक ऊर्जा का तेजी से संचार होने लगता है। विद्यालय प्रशासक डॉ. शमशेर सिंह अहलावत ने सभी विजेता छात्र-छात्राओं व अन्य प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी। प्राचार्य विमलेश आर्य ने भी आयोजिका सारिका अरोड़ा को कार्यक्रम के सुंदर आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने छात्रों को संस्कृत भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृत भाषा एक विज्ञान सम्मत एवं संपन्न भाषा है। इसी भाषा से भारत की ‘संस्कृति’ को भली-भांति जाना जा सकता है। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह व प्रमाण- पत्र देकर भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ विभाग प्रमुख अमरेंद्र कुमार, माध्यमिक विभाग प्रमुख सुवीरा गर्ग, संगीताचार्य हरीश, राजेश मोदी, हिमांशु शर्मा, आचार्या मीनाक्षी अग्रवाल,कुमारी किरण, कोमल, सुमन रानी, शालिनी तथा किरण मखीजा इत्यादि समस्त स्टाफ सदस्य उपस्थित रहें ।

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