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हिमाचल में क्यों मचा है बवाल, आखिर पेंशन का पैसा कहां से लाती हैं राज्य सरकारें?

हिमाचल प्रदेश इस समय सिर्फ प्राकृतिक ही नहीं आर्थिक आपदा का भी सामना कर रहा है. यही वजह है कि राज्य सरकार के 2 लाख से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स के खाते में ना तो समय पर सैलरी पहुंची है और ना पेंशन. इतना ही नहीं राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भी 2 महीने तक अपने वेतन-भत्ते नहीं लेने का ऐलान किया है. आखिर राज्य सरकार पेंशन और सैलरी के लिए फंड कहां से जुटाती है.

भारत में अधिकतर राज्य सरकारों के पास खुद के फंड जेनरेट करने का ऑप्शन होता है, क्योंकि राज्य सरकारें अपने हिसाब से टैक्स लगा सकती हैं. वहीं उन्हें केंद्र सरकार से भी केंद्रीय करों में हिस्सा मिलता है.

हिमाचल प्रदेश का संकट

हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार के कर्मचारियों को अगस्त की सैलरी नहीं मिली है. सिर्फ बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और पेंशनर को वेतन एवं पेंशन दिया गया है. इसकी वजह है राज्य सरकार के ऊपर 86,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज होना.

हिमाचल में राज्य सरकार बनने बजट का बड़ा हिस्सा सैलरी, पेंशन और कर्ज की किस्ते चुकाने में ही कर दे रही है. इसके बावजूद सरकार अगस्त की सैलरी क्रेडिट नहीं कर सकती है. वहीं कर्मचारियों और पेंशनर्स का सरकार पर 10 करोड़ रुपए बकाया है.

इसकी वजह राज्य सरकार जहां प्राकृतिक आपदा और केंद्र के पैसा नहीं देने को बता रही है. वहीं विपक्षी खेमे का कहना है कि आपदा के साथ-साथ ओल्ड पेंशन स्कीम, 350 यूनिट मुफ्त बिजली योजना, कर्ज की लिमिट ज्यादा होना, ओवर ड्राफ्ट लिमिट का भी इस्तेमाल कर लेना और महिलाओं के लिए 1500 रुपए प्रतिमाह की योजना चलाने का असर सरकार के बजट पर पड़ा है.

कैसे कमाती हैं राज्य सरकारें?

देश में जीएसटी व्यवस्था लागू होने से पहले राज्य सरकारों के पास कई तरीके से फंड जुटाने का तरीका होता था. अब राज्य सरकारें मुख्य तौर पर पेट्रोल-डीजल पर वैट और शराब पर टैक्स से कमाई करती हैं. इसके अलावा राज्य सरकारों को केंद्र से पैसा मिलता है. वहीं हिमाचल के पहाड़ी राज्य होने पर एक्स्ट्रा पैसा भी मिलता है.

जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद राज्य सरकारों को मुआवजा मिलता है, जो पहले 5 साल के लिए था और अब बंद हो चुका है. इसने राज्य सरकारों की इनकम पर असर डाला है. वहीं रिवेन्यू डेफिसिट ग्रांट का पैसा कम हुआ है और हिमाचल सरकार के पास 5 सितंबर को ही इसका पैसा पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में सरकार उसी समय अपने कर्मचारियों को फीस दे सकेगी.

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