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कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने भीषण गर्मी और जंगल की आग से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोजित एनसीएमसी बैठक की अध्यक्षता की

नई दिल्ली, 7 जून। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने भीषण गर्मी और जंगल की आग से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोजित एनसीएमसी बैठक की अध्यक्षता की।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने देश भर में भीषण गर्मी और जंगल की आग की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें इनसे निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी शामिल थी।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि अप्रैल से जून 2024 के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य से अधिक गर्मी वाले 10-22 दिन देखे गए। यह भी जानकारी दी गयी कि जून महीने के पूर्वानुमान के अनुसार, उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश क्षेत्रों और उत्तर मध्य भारत के आस-पास के क्षेत्रों में सामान्य से अधिक तापमान वाले दिन रहने की संभावना है। इस वर्ष, देश के अधिकांश भागों में मानसून सामान्य या सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। आईएमडी द्वारा भीषण गर्मी के बारे में नियमित अलर्ट भेजे जा रहे हैं।

एनडीएमए ने यह भी बताया कि केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों द्वारा अक्टूबर 2023 से ही तैयारी बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है। राज्यों को नियंत्रण कक्ष सक्रिय करने, भीषण गर्मी के लिए एसओपी लागू करने, पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारी और निर्बाध बिजली आपूर्ति के साथ-साथ आवश्यक दवाओं और ओआरएस की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए परामर्श जारी किये गए हैं। राज्यों को स्कूलों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों की नियमित रूप से अग्नि सुरक्षा जांच करने तथा आग की घटनाओं को लेकर जवाबी कार्रवाई के समय में कमी लाने की भी सलाह दी गई है। राज्य सरकारों ने बताया कि संबंधित विभागों और जिला कलेक्टरों के साथ स्थिति की बारीकी से समीक्षा और निगरानी की जा रही है।

कैबिनेट सचिव ने मुख्य सचिवों से अनुरोध किया कि वे लू से निपटने की तैयारियां बढ़ाने के लिए अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक उपायों की नियमित समीक्षा और निगरानी करें। उन्होंने जोर दिया कि जलापूर्ति के स्रोत बनाए रखने और बढ़ाने के प्रयासों में तेजी लाई जानी चाहिए और सभी संस्थानों में अग्नि सुरक्षा का नियमित ऑडिट सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

वनों में लगने वाली आग के प्रबंधन के बारे में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक प्रस्तुति दी, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों में जंगल की आग से निपटने के लिए कार्य योजना और तैयारियों की रूपरेखा तैयार की गई। यह भी जानकारी दी गई कि जंगल की आग के बारे में मोबाइल एसएमएस और ईमेल के जरिए नियमित सतर्कता बरतने की चेतावनी दी जा रही है। जंगल की आग के खतरे में बारे में राज्‍यों और अन्‍य एजेंसियों की सहायता के लिए वन अग्नि नाम से चेतावनी देने वाली पोर्टल प्रणाली भी भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा विकसित की गई है, जो आग लगने से पहले और जंगल की आग के लगभग वास्तविक समय की चेतावनी देती है।

कैबिनेट सचिव ने दोहराया कि 02 जून, 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया था कि जंगल की आग के मुद्दे पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। वनों की आग से निपटने के लिए तैयारी उपायों और वार्षिक अभ्यासों की एक नियमित व्‍यवस्‍था लागू की जानी चाहिए, जैसा कि बाढ़ आदि के मामले में किया जाता है। रोकथाम और त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया पर ध्यान देने के साथ एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।

कैबिनेट सचिव ने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लू चलने और जंगल की आग से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहने की जरूरत है, ताकि जानमाल की हानि न हो और इनसे होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके। उन्होंने एनडीएमए और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा बताए गए प्रारंभिक उपायों के महत्व पर बल दिया।

कैबिनेट सचिव ने राज्यों को आश्वासन दिया कि केंद्रीय मंत्रालय/विभाग सम्पूर्ण तैयारी सुनिश्चित करने और समय पर शमन और प्रतिक्रिया से जुड़े उपायों को लागू करने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

केंद्रीय गृह सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, एनडीएमए के सदस्य और विभागाध्यक्ष, सीआईएससी मुख्यालय (आईडीएस), बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तराखंड के मुख्य सचिव तथा आंध्र प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

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