अस्पष्ट आरोप अभियुक्त की सामाजिक और पारिवारिक प्रतिष्ठा को करते हैं धूमिलः हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज के एक मामले में अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि ऐसे मामलों में अभियोजन पक्ष के लिए आरोपों का भौतिक विवरण और आरोपों के ह समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज के एक मामले में अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि ऐसे मामलों में अभियोजन पक्ष के लिए आरोपों का भौतिक विवरण और आरोपों के ह समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। अस्पष्ट आरोप अभियुक्त की निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन कर सकते हैं। अनावश्यक आरोप अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न करके आरोपी के बचाव पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
विशिष्ट विवरण और साक्ष्य के बिना अभियुक्त का बचाव पूर्वाग्रहपूर्ण हो सकता है। स्पष्ट विवरण तथा योग्य साक्ष्यों के बिना अभियुक्त को आरोपों का खंडन करने या एक सम्मोहक प्रतितर्क प्रस्तुत करने में कठिनाई हो सकती है। अधिवक्ता आमतौर पर ऐसे मामले तैयार करने के लिए तारीख, समय, स्थान और गवाहों की विशिष्ट जानकारी पर भरोसा करते हैं, लेकिन अस्पष्ट विवरण से बचाव पक्ष को उनकी प्रतिक्रिया का अनुमान लगाने या सामान्यीकरण करने के लिए छोड़ दिया जाता है, जो कोर्ट में उनके पक्ष को कमजोर कर सकता है। बिना किसी पुष्टि के लगाया गया आरोप अभियुक्त के खिलाफ कलंक और पूर्वाग्रह का कारण बन सकता है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि दहेज मामलों में किसी संपत्ति या मूल्यवान वस्तु की मांग को लेकर गैरकानूनी ढंग से किसी महिला को उसके पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा क्रूरतापूर्वक परेशान किया जाता है। यह सत्य है कि दहेज की मांग कानून के तहत निषिद्ध है और एक दंडनीय अपराध है,लेकिन कभी-कभी ऐसे आरोप व्यक्तिगत प्रतिशोध और सबक सिखाने की भावना के साथ अभियुक्त पर लगाए जाते हैं।