धर्मनगरी हरिद्वार में बढ़ती मुस्लिम आबादी कहीं खतरे की घंटी तो नहीं बजा रही…..?
हरिद्वार में मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही बढ़े लैंड जिहाद और लव जिहाद के मामले
न्यूज़ डेस्क उत्तराखण्ड । हरिद्वार । हि.स.। धर्मनगरी हरिद्वार में बढ़ती मुस्लिम आबादी कहीं खतरे की घंटी तो नहीं बजा रही। पिछले कुछ वर्षों में देवभूमि उत्तराखंड खासकर मैदानी जिले हरिद्वार में तेजी से बढ़ते लव जिहाद और लैंड जिहाद के मामले तो कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं। उक्त बात वरिष्ठ भाजपा नेता संजय गुप्ता ने कही।
वरिष्ठ भाजपा नेता संजय ने कहा कि कभी हिन्दू बाहुल्य कहलाए जाने वाली धर्मनगरी हरिद्वार जनपद में अब मुस्लिम आबादी तेजी से पैर पसार रही है। अगर प्रदेश की बात की हेडगेवारजाए तो उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी 16 फीसदी के करीब है, जिनमें यूपी से लगते और मैदानी जिलों खासकर हरिद्वार जिले में मुस्लिम आबादी करीब 41 फीसदी है जो कभी 8 प्रतिशत हुआ करती थी। हरिद्वार के बाद अब मुस्लिम आबादी प्रदेश के अन्य जिलों में भी तेजी से बढ़ती दिखाई देने लगी है। बढ़ती मुस्लिम आबादी के ये आंकड़े बताते हैं कि किस तरह पिछले 20-22 वर्षों में मुसलमानों ने देवभूमि खासकर हरिद्वार में अपनी आबादी तेजी से बढ़ाई।
बढ़ती आबादी बजा रही खतरे की घंटी-
इस कदर बढ़ती मुस्लिम आबादी, जिनमें ज्यादातर बाहरी राज्यों से आए मुस्लिम और रोहिंग्या शामिल हैं। पूर्व में हुए खुलासे बताते हैं कि इन बाहरी तत्वों में कई खतरनाक व गंभीर श्रेणी के अपराधों में संलिप्त पाए गए और इन्हें पनाह भी स्थानीय लोगों द्वारा दी गई। इनमें कई पेशेवर अपराधी भी हैं। लव जिहाद के एंगल से भी देखा जाए तो एक खास मिशन के तहत देवभूमि को सॉफ्ट टारगेट पर रखा गया है। इसके अलावा ड्रग्स तस्करी जैसे धंधों में पकड़े गए अपराधियों में भी इस समुदाय के लोगों की भागीदारी ज्यादा पाई गई। इन सबके अलावा सांप्रदायिक हिंसा की भी घटनाएं बढ़ी है। इतना ही नहीं हिन्दू का वेश बनाकर हरकी पैड़ी क्षेत्र में ढाबा चलाते व अन्य कार्य करते हुए भी ऐसे लोगों को कई बार पकड़ा जा चुका है।
संसाधनों पर भी हुए कब्जे-
उन्होंने कहा कि सिर्फ बात आबादी तक ही नहीं इससे बाकी के संसाधनों पर भी कब्जा हुआ। परिणाम स्वरूप यहां मुस्लिम आबादी वन, रेलवे, नजूल भूमि पर अवैध रूप से काबिज हो गए। जहां तक पूरे प्रदेश की बात है तो तेजी से बढ़ती मुस्लिम आबादी के लिहाज से असम के बाद उत्तराखंड का ही नाम आता है। उत्तराखंड में बढ़ते इस जनसंख्या असंतुलन के कारण ही अब उत्तराखंड में भी हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू-कानून बनाए जाने की मांग जोर पकड़ रही है।
सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे-
संजय गुप्ता ने कहाकि अन्य संसाधनों की भांति पूरे प्रदेश में खासकर मैदानी जिले हरिद्वार में जितनी भी वन भूमि अथवा अन्य सरकारी जमीनें हैं, उनमें ज्यादातर पर मुस्लिम आबादी काबिज है, जिनमें कई वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र तो सिर्फ मजारों की आड़ में कब्जाया गया है। हालांकि सरकार ने ठोस कदम उठाते हुए अवैध मजारों को ध्वस्त करने का कार्य किया है। इन पर पूर्व की सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अलबत्ता बढ़ावा जरूर दिया गया। इसका परिणाम ये हुआ कि देवभूमि उत्तराखंड में लैंड जिहाद पनपा।
अभी हाल ही में उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान छेड़ा गया। जिसमें प्रदेश की धामी सरकार ने भी सरकारी वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए। उक्त आदेश के पालन में देखा गया कि किस भांति मजारों की आड़ लेकर बड़े पैमाने पर सरकारी भूमि कब्जाई गई थी, जिसके खिलाफ वर्तमान की धामी सरकार ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर उस पर से वर्षों पुराने कब्जे हटवाए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से समुदाय विशेष की आबादी बढ़ती जा रही है और हिन्दू पलायन करता जा रहा है वह गंभीर खतरे का संकेत है।