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युवाओं के लिए खास वीजा: घूमने, रहने और खाने-पीने का खर्चा शामिल

भारत और न्यूजीलैंड के रिश्तों में अब एक नया और अहम अध्याय जुड़ गया है. दोनों देशों ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के तहत ऐसा समझौता किया है, जो सिर्फ कारोबार तक सीमित नहीं है, बल्कि सीधे तौर पर भारतीय युवाओं, प्रोफेशनल्स और स्टूडेंट्स के भविष्य से जुड़ा है. इस समझौते का मकसद लोगों के बीच जुड़ाव बढ़ाना, स्किल्ड टैलेंट को नए मौके देना और पढ़ाई व काम के रास्तों को आसान बनाना है.

करीब 10 साल बाद पूरी हुई बड़ी डील

भारत और न्यूजीलैंड के बीच FTA पर बातचीत लंबे समय से अटकी हुई थी. करीब एक दशक के बाद मार्च 2025 में फिर से चर्चा शुरू हुई और बड़ी बात यह रही कि यह समझौता रिकॉर्ड समय में पूरा हो गया. यह किसी विकसित देश के साथ भारत के सबसे तेज ट्रेड एग्रीमेंट्स में से एक माना जा रहा है. इससे पहले भारत ने ब्रिटेन और ओमान के साथ ऐसे समझौते किए थे, जबकि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन से बातचीत अभी जारी है.

वर्किंग हॉलिडे वीजा: कमाई के साथ घूमने का मौका

युवाओं के लिए वर्किंग हॉलिडे वीजा फ्रेमवर्क किसी सपने से कम नहीं है. इसके तहत 18 से 30 साल के भारतीय हर साल न्यूजीलैंड जा सकते हैं, जहां वे 12 महीने तक घूमने के साथ-साथ काम भी कर सकेंगे. इस वीजा की खास बात यह है कि काम करके वहां रहने, खाने और ट्रैवल का खर्च निकाला जा सकता है.

युवाओं और टैलेंट पर खास फोकस

इस FTA की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें रोजगार और मोबिलिटी को केंद्र में रखा गया है. इसका सीधा फायदा भारतीय युवाओं को मिलेगा, जिन्हें अब न्यूज़ीलैंड में काम करने, सीखने और अंतरराष्ट्रीय अनुभव हासिल करने के ज्यादा मौके मिलेंगे. भारत को स्किल्ड और सेमी-स्किल्ड वर्कफोर्स के बड़े सोर्स के रूप में देखा जा रहा है.

वर्क वीजा के नए रास्ते खुले

समझौते के तहत एक नया टेम्पररी वर्क वीजा रास्ता बनाया गया है. इसके जरिए एक समय में करीब 5000 भारतीय प्रोफेशनल्स न्यूज़ीलैंड में तीन साल तक रहकर काम कर सकेंगे. इसमें आईटी, इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर, एजुकेशन और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टर शामिल हैं. खास बात यह है कि योगा इंस्ट्रक्टर, आयुष प्रैक्टिशनर, इंडियन शेफ और म्यूजिक टीचर जैसे भारतीय प्रोफेशन को भी इसमें जगह दी गई है.

स्टूडेंट्स के लिए बड़ी राहत

शिक्षा के मोर्चे पर भी यह समझौता बेहद खास है, पहली बार न्यूज़ीलैंड ने किसी देश के साथ स्टूडेंट मोबिलिटी और पोस्ट-स्टडी वर्क को लेकर अलग समझौता किया है. भारतीय छात्रों पर अब कोई संख्या सीमा नहीं होगी. पढ़ाई के दौरान वे हफ्ते में 20 घंटे तक काम कर सकेंगे, जिससे पढ़ाई का खर्च संभालना आसान होगा.

STEM से जुड़े बैचलर और मास्टर कोर्स करने वाले छात्रों को पढ़ाई के बाद तीन साल तक काम करने का मौका मिलेगा, जबकि पीएचडी करने वाले छात्रों को चार साल तक पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा मिल सकेगा.

भारतीय युवाओं के लिए क्या बदलेगा?

इस समझौते से पढ़ाई, नौकरी और ग्लोबल एक्सपीरियंस के नए दरवाजे खुलेंगे. भारत-न्यूज़ीलैंड के रिश्ते सिर्फ ट्रेड तक सीमित न रहकर अब लोगों के सपनों और करियर से जुड़ गए हैं. आने वाले सालों में इसका असर हजारों भारतीय युवाओं की जिंदगी पर दिख सकता है.

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