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झारखंड में चोरी गैंग का खुलासा, बांग्लादेश से जुड़ा मामला सामने

राजस्थान की जयपुर पुलिस ने एक ऐसे अंतर्राज्यीय मोबाइल चोर गिरोह से जुड़े सदस्यों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है, जो मोबाइल चोरी कर उन्हें झारखंड के रास्ते बांग्लादेश भेजते थे. हैरानी की बात तो ये है कि इस गैंग के सदस्यों ने बताया कि उनक पूरे गांव की आजीविका ही चोरी है और मोबाइल चोरी करने के लिए उन्हें पहले ट्रेनिंग दी जाती है.

पूछताछ में किए चौंकाने वाले खुलासे

गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस के सामने पूछताछ में कई चौंकाने वाला खुलासे किए. आरोपियों ने बताया कि झारखंड के साहिबगंज जिला स्थित उनके गांव के लोगों की मुख्य आजीविका ही मोबाइल चोरी और अन्य प्रकार की चोरी से चलती है. यानी उनका कहना है कि सिर्फ वही नहीं बल्कि उनके गांव में चोरी करना एक पेशा बन गया है और पूरे गांव के लोग ही चोरी करके अपना जीवन यापन करते हैं. आरोपियों ने ये भी बताया कि बाकायदा उन क्षेत्रों में मोबाइल स्नैचिंग की ट्रेनिंग दी जाती है और फिर ट्रेनिंग लेकर गैंग के सदस्य देश के अलग-अलग शहरों में जाकर मोबाइल चोरी की वारदातों को अंजाम देते हैं.

चोरी करने के लिए दी जाती है ट्रेनिंग

इसके अलावा मोबाइल चोरी के गिरोह में सुनियोजित साजिश के तहत नाबालिग बच्चों को भी शामिल किया जाता था. उन्हें भी ट्रेनिंग दी जाती है और चोरी करना सिखाया जाता है. इससे पहले झारखंड के साहिबगंज जिला में अंतरराज्यीय मोबाइल चोर गैंग से जुड़े तीन सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पूछताछ में आरोपियो ने बताया कि मोबाइल चोरी करने के बाद गिरोह से जुड़े सदस्य उन्हें बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजा करते थे. उस समय गिरफ्तार किए गए आरोपियो में तीन पहाड़ क्षेत्र के रहने वाले विजय मंडल, सुरेंद्र नोनिया और सिटून मंडल शामिल थे. आरोपियो के पास से झारखंड समेत दूसरे राज्यों से चोरी के अलग-अलग कंपनियों के लगभग 71 मोबाइल फोन बरामद किए गए थे.

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