हरियाणा

नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय का मुद्दा गरमाया

न्यूज़ डेस्क हरियाणा । जीन्द । नगर संवाददाता । हरियाणा की राजनैतिक राजधानी कहा जाने वाला जींद शहर आज एक बार फिर चर्चाओं में रहा। यहाँ आज “हरियाणा बनाओ अभियान” द्वारा हरियाणा के लिए अलग से नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय बनाने की मांग को लेकर राज्य स्तरीय सेमिनार में प्रस्ताव पास किया गया। सेमिनार में राज्यभर के वरिष्ठ अधिवक्ता , बुद्धिजीवी और अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए।

भारत सरकार के पूर्व उप सचिव महेंद्र सिंह चोपड़ा ने सेमिनार में उपस्थित लोगों को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए कहा कि आज जो सेमिनार हुआ है वह प्रदेश में नए इतिहास को गढ़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने हरियाणा की राजधानी के निर्माण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 1966 में सदियों बाद (सम्राट हर्षवर्द्धन के शासनकाल की समाप्ति के बाद) हरियाणा क्षेत्र को पूर्ण प्रशासनिक इकाई के रूप में मान्यता मिली थी। उसी समय हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ था , परन्तु हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व ने परिपक्वता और दूरदर्शिता का परिचय देते हुए अपनी अलग राजधानी और उच्च न्यायालय बनाकर अपने प्रदेश को एक अलग पहचान और पूर्णता प्रदान कर ली, परन्तु हरियाणा को आज तक न तो अलग राजधानी मिल पाई है और न ही अलग से उच्च न्यायालय। यही नहीं कुछ लोगों ने रावी-ब्यास के अधिशेष जल के बंटवारे और हिंदी भाषी क्षेत्रों के हस्तांतरण को राजधानी से जोड़कर इसे एक भावनात्मक मुद्दा बनाकर एक ऐसी पहेली उलझा कर रख दी है, जिससे मामला आज तक सुलझ नहीं पाया। लम्बे समय तक यथास्थिति कायम रहने के कारण इस विषय को लगभग भुला दिया गया है।
श्री चोपड़ा ने आगे कहा कि हरियाणा के लिए अलग से नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय न बनने की स्थिति के लिए किसी को दोषी ठहराना न तो उचित है और न ही लाभदायक। हमें अतीत को भूलना होगा और आज की बुनियाद पर भविष्य का निर्माण करने का निर्णय लेना होगा।
“हरियाणा बनाओ अभियान” के संयोजक तथा पंजाब-हरियाणा-चंडीगढ़ बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह बधरान ने भी हरियाणा की अलग से नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय के महत्व को समझाते हुए कहा कि इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने और केंद्र एवं प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों को साथ में लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के अनेक अधिवक्ता हरियाणा और पंजाब की अलग बार कौंसिल की मांग भी प्रमुखता से उठा रहे हैं।
श्री बधरान ने आगे यह भी बताया कि अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए हरियाणा के वार्षिक बजट में बड़े प्रावधान करने और हरियाणा की अलग बार काउंसिल के माध्यम से अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम के तहत अधिवक्ताओं को सेवानिवृत्ति लाभ लागू करने की भी मांग की जा रही है। उन्होंने बताया कि चूँकि कई अन्य राज्यों ने पहले ही अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए राज्य सरकारों के वार्षिक बजट में बजटीय प्रावधान कर दिए हैं। अधिवक्ता अधिनियम के तहत अलग बार काउंसिल के निर्माण के लिए हरियाणा में अलग उच्च न्यायालय का निर्माण जरूरी है। उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड के अनुसार हरियाणा के 14 लाख से अधिक मामले हरियाणा के विभिन्न जिलों में सेशन कोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं और जबकि करीब 62 लाख से अधिक मामले उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं। यही नहीं लाखों मामले अन्य आयोगों, न्यायाधिकरणों और अन्य प्राधिकरणों के समक्ष लंबित हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट केसों के त्वरित निर्णय के लिए हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों को अलग-अलग उच्च न्यायालय की आवश्यकता है।
सेमिनार में सीडीएलयू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत कुलपति प्रोफेसर राधे श्याम शर्मा ने बतौर मुख्य वक्ता अपने सम्बोधन में कहा कि हरियाणा को पंजाब से अलग हुए 57 साल हो गए हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इस क्षेत्र को अभी तक पूर्ण स्वायत्त राज्य का दर्जा नहीं मिल सका है। क्योंकि न तो इसे अपनी अलग राजधानी और न ही अलग उच्च न्यायालय मिल पाया है।
इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल जे एस कुंडू , पूर्व सूचना आयुक्त सुरेन्दर वैरागी, अधिवक्ता यशपाल राणा, अधिवक्ता गोपाल गोयत बीबीपुर समेत अन्य गणमान्य लोगों ने भी विचार व्यक्त किये।
सेमिनार में अधिवक्ता परमवीर गोयत बलजित सिंह , जसबीर ढुल, दविन्द्र लोहान, अनिल गोयत, रणधीर कुंडू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, हेमंत सुखीजा, जसबीर कुंडू ,धर्मपाल देसवाल, सुनील कात्याल, बिमला चौधरी, ईश्वर गोयत और सैकड़ों अन्य सामाजिक कार्यकताओं के अलावा जीन्द जिले से सभी गांवों सरपंचो , प्रधान,व्यापार मण्डल ,किसान यूनियन व अनेक नागरिकों शिरकत की और सर्वसम्मति से हरियाणा के लिए अलग से नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय बनाने की मांग को लेकर प्रस्ताव पास किया गया।

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