उत्तर प्रदेश

होम्योपैथी के क्षेत्र में वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा देने से इसे वैश्विक स्वीकृति मिलेगी : डॉक्टर शाजी कुमार

न्यूज़ डेस्क उत्तर प्रदेश। नोएडा । राजेश शर्मा । वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की द्वितीय वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर वार्ता 17 से 19 दिसंबर को भारत मंडपम नई दिल्ली में आयोजित की जानी है। इस शिखर वार्ता से पूर्व 8 दिसंबर को नई दिल्ली में आयुष मंत्रालय द्वारा एक कर्टेन रेजर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। जिसके बारे में सेक्टर 24 स्थित डॉक्टर डीपी रस्तोगी केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान में एक प्रेस वार्ता का आयोजन मंगलवार को हुआ।

इस वार्ता में डॉक्टर शाजी कुमार अनुसंधान अधिकारी ने बताया कि दिल्ली के भारत मंडपम में 17 से 19 दिसंबर को आयोजित होने वाली वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ऑर्गनाइजेशन की द्वितीय वैश्विक पारंपरिक चिकित्सक शिखर वार्ता में 100से अधिक देशों से मंत्री, निति निर्धारक, वैश्विक स्वास्थ्य नेता, शोधकर्ता, आदि विशेष अतिथि होंगे। इस शिखर सम्मेलन का ध्यान वैज्ञानिक प्रमाणीकरण, डिजिटल स्वास्थ, जैव विविधता संरक्षण और पारंपरिक चिकित्सा में वैश्विक सहयोग पर केंद्रित होगा। पारंपरिक चिकित्सा में भारत की नेतृत्व कारी भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी और होम्योपैथी समग्र स्वास्थ्य के लिए विश्व स्तर पर मान्य और विश्वसनीय प्रणालियां है। इस तरह के आयोजन का उद्देश होम्योपैथी के क्षेत्र में वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा देना है। केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन एक स्वास्थ्य संस्था के रूप में कार्यरत है, जो कि भारत में होम्योपैथी अनुसंधान की उच्च स्तरीय संगठन है। परिषद का उद्देश्य होम्योपैथी के क्षेत्र में वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा देना है। इसकी स्थापना वर्ष 1978 में नई दिल्ली में हुई थी और इसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान का संचालन समन्वयन और विकास करना है ताकि होम्योपैथी की वैज्ञानिक मान्यता और वैश्विक स्वीकृति सुनिश्चित की जा सके।

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