संविधान में सर्वोच्च कौन, सुप्रीम कोर्ट या संसद? निशिकांत के बयान पर सियासत गर्म

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान से इस वक्त पूरे देश में सियासी बवाल मचा हुआ है. उन्होंने देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई पर सवाल उठाया था. उन्होंने इतना तक कह दिया देश में धार्मिक और गृह युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है. उनके इस बयान की जबरदस्त आलोचना हो रही है. बीजेपी ने निशिकांत दुबे के बयान से किनारा कर लिया है, लेकिन विपक्ष आक्रामक हो गया है. विपक्ष को ये कहने का मौका एक बार फिर मिल गया कि बीजेपी संस्थानों पर लगाम लगाना चाहती है और उसे खत्म करना चाहती है.
निशिकांत दुबे के बयान के बाद आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी आर गवई ने दो बार एक ही कमेंट किया, जो इस मामले से ही जुड़ा हुआ है. पहला कमेंट पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग पर था. दूसरा कमेंट OTT को लेकर याचिका पर था, जिसमें एडल्ट कंटेंट रोकने की मांग की गई थी. दोनों की सुनवाई के दौरान जस्टिस बी. आर. गवई ने कहा कि हमारी तो आलोचना हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट विधायिका के अधिकार क्षेत्र में दखल दे रहा है. जस्टिस बी.आर. गवई देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे और 14 मई को शपथ लेंगे. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सरकार और सुप्रीम कोर्ट में टकराव है? सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाना अधिकार है या अवमानना या फिर सुप्रीम कोर्ट बड़ा है या संसद?
निशिकांत दुबे ने क्या कहा था?
पहले जान लीजिए कि निशिकांत दुबे ने क्या कहा था? बीजेपी सांसद ने कहा था कि अपॉइंटिंग अथॉरिटी को आप निर्देश कैसे दे सकते हैं. भारत के चीफ जस्टिस की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं. इस देश का कानून भारत की संसद बनाती है. उस संसद को आप डिक्टेट करेंगे? इस देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए केवल और केवल सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है. सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट की सीमा ये है कि भारत का संविधान जिस कानून को बनाया, उस कानून की उन्हें व्याख्या करनी है और यदि व्याख्या नहीं कर सकती है और सबकुछ के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है तो इस संसद का कोई मतलब नहीं है. विधानसभा का कोई मतलब नहीं है इसको बंद कर देना चाहिए.
दुबे के बयान पर जयराम रमेश का पलटवार
निशिकांत दुबे के बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि संविधान जो अधिकार देता है सुप्रीम कोर्ट को उसे काटने और कमजोर करने में लगे हुए हैं. संवैधानिक पदाधिकारी भी सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोल रहे हैं. मंत्री भी सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोल रहे हैं. बीजेपी के सांसद भी सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोल रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट एक ही बात कह रहा है कि जब आप कानून बनाते हैं तो संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के खिलाफ मत जाइए. संविधान के खिलाफ है तो कानून स्वीकार नहीं कर सकते.
सुप्रीम कोर्ट बड़ा है या संसद..किसने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट बड़ा है या संसद, इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट के वकील अमिताभ सिन्हा ने कहा कि संविधान में एक आर्टिकल है 361. इसके मुताबिक, यह अनुच्छेद कहता है कि जो भी संवैधानिक पद हैं यानी राष्ट्रपति या राज्यपाल, उनके किसी भी कार्य के बारे में व्याख्या नहीं हो सकती है और उसे चैलेंज नहीं किया जा सकता. अगर यह करना है कि संविधान से 361 को खत्म कर दे. वहीं, अमिताभ सिन्हा की टिप्पणी पर पूर्व ASG के सी कौशिक ने कहा कि यहां अनुच्छेद 361 आउट ऑफ कॉन्टेस्ट है. उसमें सिर्फ ये दिया है राष्ट्रपति और राज्यपाल, उनका जो एक्ट है, उनके खिलाफ कोई क्रिमिनल एक्ट नहीं हो सकता है. मगर जो उनका एडमिनिस्ट्रेटिव एक्ट है, उनके खिलाफ कार्रवाई होती है.