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‘पैग’ से पैसा! शराब का क्राउन शंकर चौक के नाम, 63 करोड़ की बोली ने मचाया धमाल

गुरुग्राम में शराब लाइसेंस की नीलामी में शंकर चौक ने बाजी मार ली है. इस इलाके के लिए 63 करोड़ रुपये की बोली लगाई गई, जिसने सभी को चौंका दिया. वहीं, DLF फेज 3 ने भी कम नहीं छोड़ा और 62 करोड़ रुपये की बोली के साथ दूसरे नंबर पर रहा. यह दोनों इलाके हरियाणा में एक्साइज विभाग के सबसे बड़े राजस्व कलेक्टर बन गए हैं.

शराब की डिमांड ने बढ़ाई वैल्यू

शराब के कारोबार के इस हाई-प्रॉफिट वाले बाजार में शंकर चौक और DLF 3 की बोलियां इस बात का संकेत हैं कि यहां का कारोबार कितना जोर पकड़ चुका है. अधिकारियों का कहना है कि इन इलाकों में शराब की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसके कारण बोली इतनी ऊंची लगी.

गुरुग्राम का नाइटलाइफ तेजी से विकसित हो रहा है और यहां की आबादी के पास खर्च करने की क्षमता भी बढ़ी है. यही वजह है कि शराब के ठेके के लिए इन इलाकों में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली. एक्साइज विभाग की नीलामी में कॉर्पोरेट कंपनियों और बड़े व्यापारियों ने भी हिस्सा लिया.

रेवेन्यू में भी हो रही बढ़ोतरी

विश्लेषकों के अनुसार, यह बढ़ती बोली और निवेश शहर की सामाजिक-आर्थिक प्रगति को दर्शाती है. मनोरंजन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में हो रहे विकास से इन क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियां और मजबूत हो रही हैं.

राज्य सरकार के लिए यह नीलामी एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत साबित हो रही है, जो हरियाणा के विकास कार्यों में मदद करेगी. एक्साइज विभाग इस सफलता को कायम रखते हुए आगे भी ऐसे हाई-डिमांड क्षेत्रों में नीलामी करता रहेगा.

कहां कितनी लगी बोली?

पश्चिम क्षेत्र में, जिसमें साइबर हब और उद्योग विहार जैसे उच्च श्रेणी के इलाके शामिल हैं, वहां मंगलवार को 83 में से 62 जोन की नीलामी हुई. इस क्षेत्र में कुल बोली राशि ₹1,270 करोड़ तक पहुंची, जबकि आरक्षित मूल्य ₹1,152 करोड़ था. मानेसर ने मजबूत प्रतिस्पर्धात्मक बोली दिखाई, जहां अंतिम बोली आरंभिक मूल्य से 20-30% अधिक रही.

उपायुक्त अजय कुमार ने बताया कि पश्चिम क्षेत्र के बाकी जोनों के लिए नई टेंडर पहली जून सप्ताह में आमंत्रित किए जाएंगे. शंकर चौक जोन, जो इफको चौक तक फैला हुआ है उसने लगभग आरक्षित मूल्य के बराबर बोली प्राप्त की, जबकि DLF-3 जोन ने आरंभिक मूल्य से ₹3 करोड़ अधिक बोली प्राप्त की.

उद्योग विहार-5, जो तीसरे स्थान पर है, ₹38.6 करोड़ में बिका, जो लगभग आरक्षित मूल्य के समान था. शहर के केंद्रीय व्यावसायिक जिलों के बाहर कई जोनों में आरंभिक मूल्य से 20-50% अधिक बोली मिली.

सबसे अधिक बोली गडौली जोन में लगी, जहां आरक्षित मूल्य ₹18.5 करोड़ के मुकाबले ₹28.13 करोड़ की बोली लगी, जो लगभग 52% की बढ़ोतरी दर्शाता है.

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