उत्तर प्रदेश

UPSC में 2 बार फेल, फिर भी बना फर्जी IAS! सौरभ त्रिपाठी की पूरी कुंडली, जानें कैसे रचा मायाजाल

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक सनसनीखेज मामले ने प्रशासनिक और सरकारी तंत्र को हिलाकर रख दिया है. वजीरगंज पुलिस ने बीते मंगलवार देर रात एक फर्जी IAS अधिकारी सौरभ त्रिपाठी को गिरफ्तार किया, जिसने न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में भी फर्जी पहचान बनाकर ठगी का जाल बिछाया था. सौरभ का रौब-दाब, लक्जरी गाड़ियों का काफिला, फर्जी सरकारी पास और सोशल मीडिया पर बनाई गई चमक-दमक भरी छवि ने लोगों को इस कदर गुमराह किया कि कोई भी उसकी असलियत पर शक नहीं कर सका. इस मामले ने सरकारी सिस्टम की सुरक्षा और सतर्कता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं.

सौरभ त्रिपाठी का लाइफ स्टाइल और प्रोफाइल किसी वरिष्ठ IAS अधिकारी से कम नहीं था. वह डिफेंडर, मर्सिडीज, फॉर्च्यूनर और इनोवा जैसी छह लक्जरी गाड़ियों के काफिले के साथ चलता था. इन गाड़ियों पर ‘भारत सरकार’ और ‘उत्तर प्रदेश शासन’ के फर्जी पास लगे थे. साथ ही लाल-नीली बत्तियां भी थीं, जो उसे एक असली अफसर का रुतबा देती थीं. सौरभ ने लखनऊ के गोमती नगर विस्तार में शालीमार वन वर्ल्ड सोसाइटी के फ्लैट में अपना ठिकाना बनाया था, जहां उसका रहन-सहन बिल्कुल अफसराना था.

आसपास के लोगों को कभी शक तक नहीं हुआ कि उनके बीच एक फर्जी IAS रह रहा है. सौरभ अपने साथ निजी बॉडीगार्ड रखता था, जिनमें से एक पुलिस की वर्दी में रहता था. यह गार्ड उसकी धाक जमाने में अहम भूमिका निभाता था. वह सोशल मीडिया पर भी सक्रिय था, जहां उसने @Saurabh_IAAS नाम से अकाउंट बनाकर खुद को IAS अधिकारी के रूप में पेश किया. उसने कथावाचक प्रेमभूषण महाराज, कुछ मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ खिंचवाई तस्वीरें अपलोड कीं, जिससे लोगों का भरोसा और मजबूत होता था.

ठगी का मायाजाल: यूपी से दिल्ली तक फैला नेटवर्क

सौरभ त्रिपाठी के ठगी का तरीका बेहद चालाकी भरा था. वह उत्तर प्रदेश में खुद को प्रदेश सरकार का विशेष सचिव बताता था, जबकि अन्य राज्यों में केंद्र सरकार का संयुक्त सचिव बनकर रौब झाड़ता था. उसने फर्जी दस्तावेजों, सचिवालय पास और NIC की फर्जी ईमेल आईडी का इस्तेमाल करके सरकारी सुविधाएं हासिल कीं और लोगों से पैसे व गिफ्ट ऐंठे. पुलिस जांच में सामने आया कि सौरभ ने न केवल आम लोगों, बल्कि अधिकारियों और कारोबारियों को भी अपने जाल में फंसाया.

वह सरकारी कार्यक्रमों और विभागीय बैठकों में शामिल होता. अफसरों पर दबाव डालकर फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश करता और लोगों के अटके काम कराने का वादा करके पैसे वसूलता था. उसकी दबंगई इतनी थी कि कई बार अधिकारियों को शक होने के बावजूद वे उसका विरोध नहीं कर पाते थे. सौरभ ने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और दिल्ली में भी अपनी फर्जी पहचान के दम पर सरकारी सुविधाएं लीं और ठगी की.

कैसे खुला फर्जीवाड़े का राज?

लखनऊ के वजीरगंज थाना क्षेत्र में मंगलवार रात करीब एक बजे पुलिस ने कारगिल शहीद पार्क के पास वाहन चेकिंग के दौरान सौरभ की फॉर्च्यूनर गाड़ी को रोका. गाड़ी में लाल-नीली बत्ती और सचिवालय पास देखकर पुलिस को संदेह हुआ. सौरभ ने खुद को IAS अधिकारी बताकर रौब झाड़ने की कोशिश की और कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम गिनाए, लेकिन जब इंस्पेक्टर राजेश कुमार त्रिपाठी ने सख्ती से पूछताछ शुरू की तो उसकी पोल खुल गई.

तलाशी में पुलिस ने सौरभ के पास से लैपटॉप, आठ बैंक कार्ड (जिनमें अलग-अलग नाम जैसे प्रेम कुमार मिश्रा, प्रतीक दुबे और सौरभ त्रिपाठी लिखे थे), फर्जी आईडी कार्ड, विजिटिंग कार्ड, नकली सचिवालय पास, NIC की फर्जी मेल आईडी, डायरी और 11 हजार रुपए नकद बरामद किए. गाड़ी के कागजात चेक करने पर पता चला कि वह किसी जयदीप नाम के व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड थी. जांच में यह भी सामने आया कि सौरभ ने साल 2022 तक CDAC (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग) में जॉइंट डायरेक्टर के पद पर काम किया था, जहां से उसे gov.in डोमेन की मेल आईडी मिली थी, जिसका दुरुपयोग वह ठगी के लिए करता था.

सौरभ का बैकग्राउंड, इंजीनियरिंग से फर्जी IAS तक

पुलिस सूत्रों के अनुसार, सौरभ त्रिपाठी मूल रूप से मऊ जिले के सराय लखंसी का रहने वाला है. वह अच्छे परिवार से है. पिता रिटायर्ड डॉक्टर हैं. वहीं पत्नी भी इंजीनियर है. सौरभ ने खुद कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया और दिल्ली में एक एनजीओ से जुड़ा, जहां से उसका सरकारी विभागों में आना-जाना शुरू हुआ. उसने दो बार UPSC की परीक्षा दी, लेकिन असफल रहा. इसके बाद उसने फर्जी IAS बनकर ठगी का रास्ता चुना. उसने अधिकारियों के बीच उठने-बैठने के तौर-तरीके सीखे और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलकर लोगों को प्रभावित करता था. सौरभ के दो अन्य पते भी सामने आए हैं- नोएडा के सेक्टर-35, गरिमा विहार और लखनऊ के शालीमार वन वर्ल्ड सोसाइटी. वह सरकारी बैठकों के लिए फॉर्च्यूनर और बिजनेस डील के लिए मर्सिडीज या डिफेंडर का इस्तेमाल करता था, ताकि उसकी धाक बनी रहे.

क्या है बड़ा नेटवर्क?

लखनऊ पुलिस आयुक्त (पश्चिमी) विभूति श्रीवास्तव ने बताया कि सौरभ त्रिपाठी के खिलाफ धोखाधड़ी, IT एक्ट और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस को शक है कि सौरभ के पीछे एक बड़ा फर्जीवाड़ा गिरोह काम कर रहा हो सकता है. उसके नेटवर्क, संपर्कों और ठगी की रकम का पता लगाने के लिए गहन जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस यह भी जांच रही है कि सौरभ को फर्जी पास और सुरक्षाकर्मी कैसे मिले. उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स को डिलीट करवाया गया है और उसकी गतिविधियों की तह तक जाने के लिए साइबर सेल की मदद ली जा रही है.

सिस्टम पर सवाल: कैसे पहुंचा फर्जी IAS सरकारी बैठकों में?

सौरभ त्रिपाठी का मामला सरकारी सिस्टम की खामियों को उजागर करता है. आखिर कैसे एक फर्जी IAS अधिकारी सरकारी कार्यक्रमों और बैठकों में शामिल हो सकता था, जहां आमतौर पर केवल अधिकृत व्यक्तियों की ही एंट्री होती है? उसके फर्जी दस्तावेजों और पास की जांच क्यों नहीं हुई? यह मामला प्रशासनिक सतर्कता और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है. वजीरगंज थाने के प्रभारी निरीक्षक राजेश कुमार त्रिपाठी ने कहा, “सौरभ के पास से बरामद फर्जी दस्तावेजों की लिस्ट इतनी लंबी है कि जांच टीम भी हैरान है. हर पॉइंट पर पूछताछ की जा रही है और जल्द ही पूरे नेटवर्क का खुलासा होगा.”

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