उत्तर प्रदेश

ग्रेटर नोएडा की तर्ज पर बनेगा ‘ग्रेटर कानपुर’, खर्च होंगे 37 हजार करोड़, बदल जाएगी कानपुर की सूरत

उत्तर प्रदेश में नोएडा की तरह एक और हाईटेक शहर बसने जा रहा है. इसका विकास ग्रेटर नोएडा की तर्ज पर किया जाएगा और इसे ग्रेटर कानपुर के नाम से जाना जाएगा. शहर को बसाने की परियोजना को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंजूरी मिल गई है. सीएम से मंजूरी मिलने के बाद कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) इस नए शहर में 37 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को धरातल पर उतारने की तैयारी में जुट गया है. इस योजना के तहत चार इंडस्ट्रियल इलाकों का विकास किया जाएगा. इसकी जिम्मेदारी केडीए को सौंपी गई है.

केडीए की टीम ने भीमसेन इलाके में मौजूद जमीन का जायजा लिया. टीम ने नक्शों के आधार पर जमीन की उपलब्धता और आवश्यकता का आकलन किया. साथ ही आसपास के गांवों का निरीक्षण कर भूमि अधिग्रहण की लागत का खाका तैयार किया. पूरे काम को अंजाम देने वाली टीम में केडीए के उपाध्यक्ष मदन सिंह गबरायल, सचिव अभय पांडेय, मुख्य नगर नियोजक मनोज कुमार और अधिशासी अभियंता अमनदीप तिवारी शामिल थे.

ग्रेटर कानपुर की तर्ज पर होगा विकास

केडीए का लक्ष्य चारों इंडस्ट्रियल एरिया को एक ही स्थान पर विकसित करना है. इसके लिए मंधना से भौंती के बीच रिंग रोड के आसपास की जमीन को चिह्नित किया जा रहा है. प्राधिकरण ग्रेटर नोएडा की तर्ज पर ‘ग्रेटर कानपुर’ बसाने की योजना पर काम कर रहा है. इस क्षेत्र में चार प्रमुख परियोजनाएं प्रस्तावित है, जिनके नाम हैं…

  • मेडिसिन सिटी डिफेंस कॉरिडोर: भीमसेन के पास 100 एकड़ में 360 करोड़ रुपये की लागत से.
  • नालेज पार्क: भीमसेन में 359 एकड़ में 880 करोड़ रुपये से.
  • मेगा एमएसएमई पार्क: भीमसेन के पास 100 एकड़ में 294 करोड़ रुपये से.
  • ई-पार्क: भीमसेन में 500 एकड़ में 700 करोड़ रुपये की लागत से.

रिंग रोड का निर्माण

ग्रेटर कानपुर को जोड़ने के लिए मंधना से भौंती तक 8.9 किलोमीटर लंबे और 75 मीटर चौड़े रिंग रोड का निर्माण किया जाएगा. इसकी लागत 400 करोड़ रुपये तक होगी. उपाध्यक्ष मदन सिंह गबरायल ने बताया कि जमीन चिह्नीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है. जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाएगा, जिसके बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी.

आत्मनिर्भर कानपुर की ओर कदम

यह परियोजना कानपुर को औद्योगिक और आर्थिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी. केडीए का यह प्रयास न केवल शहर के विकास को गति देगा, बल्कि रोजगार सृजन और आर्थिक समृद्धि को भी बढ़ावा देगा.

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