परिवार पहचान पत्र की त्रुटियों को लेकर ह्यूमन राइट एंड एंटी करप्शन कौंसिल चेयरमैन ने मानव अधिकार आयोग को लगाई जनहित याचिका
पीपीपी की डेटा अपडेट और सत्यापन की प्रक्रिया की बनाया जाये सरल : अधिवक्ता शिवकुमार बेडवाल

भिवानी(ब्यूरो):परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) में विद्यार्थियों, महिलाओं और बेरोजगारों की आय को ना दर्शाने, पिछड़ा वर्ग की तर्ज पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग को मिलने वाली आय सीमा में छूट को बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने सहित विभिन्न त्रुटियों को दूर करने की मांग को लेकर ह्यूमन राइट एंड एंटी करप्शन कौंसिल ने बड़ा कदम उठाया है। कौंसिल के चेयरमैन अधिवक्ता शिव कुमार बेडवाल ने मानव अधिकार आयोग को इस संबंध में जनहित याचिका दायर कर जनभावनाओं की पुरजोर पैरवी की है। याचिका में उन्होंने आग्रह किया है कि वर्तमान में परिवार पहचान पत्र में कई तकनीकी व प्रशासनिक त्रुटियां हैं, जिससे जरूरतमंद लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है। चेयरमैन अधिवक्ता शिव कुमार बेडवाल ने प्रमुख रूप से मांग रखी कि विद्यार्थियों, महिलाओं और बेरोजगारों की आय को कुल पारिवारिक आय में शामिल न किया जाए, क्योंकि ये आय अर्जन नहीं करते बल्कि आश्रित होते हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए आय सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये किया जाए, जिससे अधिक से अधिक पात्र व्यक्ति लाभ ले सकें। पीपीपी में आय स्लैब प्रणाली को खत्म किए जाने ताकि परिवार की जितनी आय उनकी इनकम के हिसाब से बढ़ाई जानी है बढ़ाई जा सके। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि परिवार पहचान पत्र के डेटा अपडेट और सत्यापन की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि आमजन को बार-बार कार्यालयों के चक्कर न काटने पड़ें। चेयरमैन ने कहा कि यदि सरकार इन मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं करती, तो कौंसिल न्यायालय की शरण लेने से भी पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल किसी वर्ग विशेष का मामला नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लाखों नागरिकों से जुड़ा जनहित का विषय है।